दुनिया का पहला सौर विमान सोलर इंपल्स की जानकारी


विश्व का एकमात्र सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला विमान 'सोलर इंपल्स-2' अपनी पहली वैश्विक यात्रा के तहत 10 मार्च, 2015 को अहमदाबाद में उतरा।

विमान परियोजना की सूचना के मुताबिक विश्व यात्रा के तहत यह विमान दुबई से उड़ान शुरू करके मस्कट (ओमान), अहमदाबाद, वाराणसी (भारत), मांडले (म्यांमार), चाँगकिंग और नानजिंग (चीन) के रास्ते प्रशांत महासागर को पार करते हुए अमेरिका के फ़निक्स और न्यूयॉर्क पहुंचेगा। विमान ने 2013 में अमेरिका में परीक्षण उड़ान भरी थी।

परियोजना की वेबसाइट में कहा गया है कि सोलर इंपल्स ईंधन के बिना पूरी तरह सौर उर्जा से दिन और रात उड़ान भरने वाला पहला विमान है।

एकल सीट वाला यह विमान कार्बन फाइबर से बना है। इसका ‘विंगस्पैन’ 72 मीटर का है जो बोइंग 747 से अधिक है। जिसमें 17 हजार सोलर सेल लगे हैं। इसका वजन 23,00 किग्रा है जो एक कार के वजन के बराबर है। यह 110 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ़्तार व एक बार में 400 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकता है।

याद रहे, कि अमेरिका ने 'सोलर इंपल्स' नामक एक ऎसा सौर ऊर्जा विमान बनाया है जो बहुत ही हल्का है और यह सौर ऊर्जा द्वारा चलेगा। इस विमान में किसी तरह के कार्बन ईधन की जरूरत नहीं है और यह पूरी तरह से सौर पैनल और बैटरी पर निर्भर पहला विमान है। इस विमान को बनाने में 10 वर्ष लगें। इससे पहले भी यह विमान बनाने वाली कंपनी ने 'सोलर इंपल्स-1' विमान विकसित किया था। पर वह सिर्फ विमान का प्रारंभिक स्वरूप था, जिसकी क्षमताएं बेहद सीमित थी।

सोलर इंपल्स में सिर्फ एक पायलट होगा और कोई सवारी नहीं होगी लेकिन बहुत सा संदेश होगा। वैज्ञानिकों का कहना है की अभी हम ऎसे सौर विमान की कल्पना नहीं कर सकते जो 200 यात्रियों को लेकर उडे लेकिन 1903 में भी यही स्थिति थी।

इस विमान में विशेष ढांचगत इंजीनियरिंग और भौतिक उपाय किए गए है कि यह सूर्यास्त के बाद भी सौर उर्जा का उपयोग करता रहे। विमान के डैनों पर मौजूद सौर पैनल दिन में सूर्य से उर्जा ग्रहण करते हैं और लिथियम पालीमर बैटरी में यह उर्जा रक्षित कर ली जाती है। इसका इस्तेमाल रात की यात्रा के लिए किया जाता है। ये विमान बहुत ही हल्का है जिससे उडने में बिल्कुल भी परेशानी नहीं होगी और किसी इंधन की भी जरूरत नहीं पडेगी आराम से सौर ऊर्जा और बेटरी से चल सकता है।

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