शशि कपूर को दादा साहब फाल्के पुरस्कार 2014

गुज़रे ज़माने के मशहूर फ़िल्म अभिनेता और निर्माता शशि कपूर को वर्ष 2014 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना है। उनसे पहले उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राज कपूर को भी दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिल चुका है।

शशि कपूर दादा साहेब फाल्के पुरस्कार पाने वाले 46वें व्यक्ति होंगे। 77 वर्ष के शशि कपूर ने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है। जिसमें उन्हें 'दीवार', 'सत्यम शिवम् सुंदरम', 'त्रिशूल', 'कभी-कभी' फिल्म में यादगार अभिनय के लिए जाना जाता है। भारतीय सिनेमा में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 46वें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

शशि कपूर का जन्म 1938 में हुआ और वह कपूर परिवार से आने वाले जाने-माने अभिनेता हैं। शशि कपूर, राज कपूर और शम्मी कपूर के छोटे भाई हैं। शशि कपूर चार साल की उम्र से ही अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर के नाटकों में अभिनय करने लगे।

1940 के दशक में उन्होंने बाल कलाकार की भूमिका निभाई। बाल कलाकार के रूप में आग (1948) तथा आवारा (1951) में उनकी भूमिका की सराहना की गई। शशि कपूर ने 1950 के दशक में सहायक निर्देशक का भी काम किया।

बतौर नायक 'धर्मपुत्र' शशि कपूर की पहली फिल्म थी। वह 60, 70 और 80 के दशक तक लोकप्रिय अभिनेता बने रहे। शशि कपूर भारत के पहले ऐसे अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम किया।

उन्होंने कई ब्रिटिश तथा अमेरिकी फिल्मों में काम कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल की। उन्होंने इस्माइल मर्चेंट एवं जेम्स आइवरी के प्रसिद्ध मर्चेंट आइवरी प्रॉडक्शन के तहत काम किया, जिनमें हाउसहोल्डर (1963), शेक्सपियर वाला (1965), बॉम्बे टॉकी (1970) तथा हीट ऐंड डस्ट (1982) जैसी फिल्में शामिल हैं। उन्होंने अन्य ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों जैसे कि सिद्धार्थ (1972) एवं मुहाफिज (1994) में भी अभिनय किया।

1978 में शशि कपूर ने अपना प्रॉडक्शन हाउस 'फिल्म वाला' शुरू किया। उन्होंने जुनून (1978), कलयुग (1981), 36 चौरंगी लेन (1981), विजेता (1982) और उत्सव (1984) जैसी फिल्में बनाई, जिन्हें समीक्षकों ने खूब सराहा।

उन्होंने अजूबा नाम से फंतासी फिल्म बनाई तथा इसका निर्देशन भी किया। इसमें प्रमुख भूमिका अमिताभ बच्चन तथा ऋषि कपूर ने निभाई। 2011 में भारत सरकार ने शशि कपूर को पद्मभूषण से सम्मानित किया। उन्होंने तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं।

शशि कपूर ने 1961 में यश चोपड़ा की फिल्म 'धर्म पुत्र' से करियर की शुरुआत की थी, लेकिन उन्हें सफलता मिली 1965 में 'जब जब फूल खिले' से। इस फिल्म की भारी सफलता ने शशि कपूर को भी स्टार के रूप में स्थापित कर दिया।

शशि कपूर ने 100 अधिक फिल्मों में काम किया है। उनके करियर की कुछ अन्य प्रमुख फिल्में हैं- 'प्यार किए जा' (1966), 'हसीना मान जाएगी' (1968), 'प्यार का मौसम', 'कन्यादान' (1969), 'अभिनेत्री' (1970), 'शर्मिली' (1971), 'वचन', 'चोर मचाए शोर' (1974), 'फकीरा' (1978), 'हीरा लाल पन्ना लाल' (1978), 'सत्यम शिवम सुंदरम' (1979), 'बेजुबान', 'क्रोधी', 'क्रांति' (1981), 'घुंघरू' (1983), 'घर एक मंदिर' (1984), 'अलग अलग' (1985), 'इलजाम' (1986), 'सिंदूर' (1987) और 'फर्ज की जंग' (1989)।

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